मत्ती १ से १० अध्याय पर आधारित प्रश्न और उत्तर | Questions and Answers on Matthew 1 to 10
यह पृष्ठ "मत्ती १ से १० अध्याय पर आधारित प्रश्न और उत्तर" का संग्रह है, जो मत्ती रचित सुसमाचार के पहले दस अध्यायों की प्रमुख घटनाओं और शिक्षाओं को प्रस्तुत करता है। इन अध्यायों में यीशु मसीह के जन्म, उनकी वंशावली, बपतिस्मा, और प्रारंभिक सेवाकाल का वर्णन है। यह सुसमाचार यह बताता है कि यीशु मसीह ही वह उद्धारकर्ता हैं, जिसकी भविष्यवाणी पुराना नियम में की गई थी।
प्रमुख विषय:
वंशावली और यीशु का जन्म (मत्ती १):
इस अध्याय में यीशु मसीह की वंशावली का विवरण दिया गया है, जिसमें अब्राहम से लेकर दाऊद और फिर यीशु तक की genealogical कड़ी प्रस्तुत की गई है। इसके साथ ही मारीया का गर्भधारण और यीशु के जन्म का विवरण भी शामिल है।
यीशु का बपतिस्मा (मत्ती २):
इस अध्याय में यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का कार्य और यीशु का बपतिस्मा लेने का विवरण है, जो यीशु के मंत्रालय की शुरुआत को दर्शाता है।
यीशु की परीक्षा (मत्ती ४):
इस अध्याय में शैतान द्वारा यीशु को तीन प्रमुख परीक्षणों का सामना करने का वर्णन है, जिससे उनकी धार्मिकता और दृढ़ता का पता चलता है।
पहाड़ी उपदेश (मत्ती ५-७):
यह भाग उस महान उपदेश की नींव रखता है, जिसमें यीशु स्वर्ग के राज्य के सिद्धांतों का वर्णन करते हैं, जैसे कि भक्ति, नैतिकता, और शांति के सिद्धांत।
शिष्यों को सेवा के लिए भेजना (मत्ती १०):
इस अध्याय में यीशु अपने बारह शिष्यों को सेवाकर्म के लिए भेजते हैं और उन्हें मार्गदर्शन करते हैं कि वे कैसे प्रचार करें और लोगों की सेवा करें।
उद्देश्य:
यह पृष्ठ विशेष रूप से छात्रों, शिक्षकों और धार्मिक अध्ययन करने वालों के लिए उपयोगी है। इसमें प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किए गए हैं, ताकि पाठक आसानी से यीशु मसीह के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं और शिक्षाओं को समझ सकें। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर संबंधित पुस्तक और अध्याय के संदर्भ में दिया गया है, जिससे पाठक बाइबिल की गहराई को समझने में मदद प्राप्त कर सकें।
मत्ती १ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: यीशु मसीह की वंशावली किससे शुरू होती है?
उत्तर : यीशु मसीह की वंशावली अब्राहम से शुरू होती है।
प्रश्न २: दाऊद से कौन उत्पन्न हुआ?
उत्तर : दाऊद से सुलैमान उत्पन्न हुआ, जो उरिय्याह की पत्नी से हुआ।
प्रश्न ३: बंदी बनाकर बेबीलोन ले जाए जाने के बाद, यकुन्याह से कौन उत्पन्न हुआ?
उत्तर : यकुन्याह से शालतिएल उत्पन्न हुआ।
प्रश्न ४: यीशु मसीह की माता मरियम किसकी पत्नी थी?
उत्तर : मरियम यूसुफ की पत्नी थी।
प्रश्न ५: मत्ती 1:17 के अनुसार, कुल कितनी पीढ़ियाँ हैं?
उत्तर : अब्राहम से मसीह तक कुल चौदह-चौदह की तीन पीढ़ियाँ हैं।
प्रश्न ६: यीशु का जन्म कैसे हुआ?
उत्तर : मरियम, जो पवित्र आत्मा से गर्भवती थी, ने यीशु को जन्म दिया।
प्रश्न ७: यूसुफ ने मरियम को चुपके से छोड़ने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर : क्योंकि यूसुफ धर्मी व्यक्ति था और मरियम को बदनाम नहीं करना चाहता था।
प्रश्न ८: स्वर्गदूत ने यूसुफ को किस बात के लिए प्रोत्साहित किया?
उत्तर : स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि वह मरियम को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करे, क्योंकि उसका गर्भ पवित्र आत्मा से है।
प्रश्न ९: यीशु नाम का क्या अर्थ है?
उत्तर : यीशु का अर्थ है “वह अपने लोगों का पापों से उद्धार करेगा।”
प्रश्न १०: “इम्मानुएल” नाम का क्या अर्थ है?
उत्तर : इम्मानुएल का अर्थ है “परमेश्वर हमारे साथ।”
मत्ती २ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: यीशु का जन्म किस शहर में हुआ था?
उत्तर : यीशु का जन्म यहूदिया के बैतलहम में हुआ था।
प्रश्न २: ज्योतिषियों ने यरूशलेम में आकर किसके बारे में पूछा?
उत्तर : ज्योतिषियों ने यह पूछा कि "यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ है, वह कहाँ है?"
प्रश्न ३: हेरोदेस राजा ने प्रधान याजकों और शास्त्रियों से क्या पूछा?
उत्तर : हेरोदेस ने उनसे पूछा कि मसीह का जन्म कहाँ होना चाहिए।
प्रश्न ४: भविष्यवक्ताओं के अनुसार मसीह का जन्म कहाँ होना था?
उत्तर : भविष्यवक्ताओं के अनुसार मसीह का जन्म यहूदिया के बैतलहम में होना था।
प्रश्न ५: ज्योतिषियों ने बालक यीशु को देखकर क्या किया?
उत्तर : ज्योतिषियों ने बालक यीशु को प्रणाम किया और उसे सोना, लोबान, और गंधरस की भेंट चढ़ाई।
प्रश्न ६: स्वप्न में चेतावनी मिलने के बाद ज्योतिषी किस मार्ग से लौटे?
उत्तर : स्वप्न में चेतावनी पाकर ज्योतिषी दूसरे मार्ग से अपने देश लौट गए।
प्रश्न ७: स्वप्न में दूत ने यूसुफ से क्या कहा?
उत्तर : दूत ने यूसुफ से कहा कि वह बालक और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जाए, क्योंकि हेरोदेस बालक को मारने की कोशिश कर रहा था।
प्रश्न ८: हेरोदेस ने बैतलहम और उसके आसपास के किस उम्र के लड़कों को मरवाया?
उत्तर : हेरोदेस ने दो वर्ष के या उससे छोटे लड़कों को मरवा दिया।
प्रश्न ९: हेरोदेस के मरने के बाद, दूत ने यूसुफ को क्या करने का निर्देश दिया?
उत्तर : दूत ने यूसुफ से कहा कि वह बालक और उसकी माता को लेकर इस्राएल के देश में लौट जाए, क्योंकि जो बालक के प्राण लेना चाहते थे, वे मर गए हैं।
प्रश्न १०: भविष्यवाणी के अनुसार यीशु को किस नाम से पुकारा जाएगा?
उत्तर : भविष्यवाणी के अनुसार यीशु को नासरी कहा जाएगा।
मत्ती ३ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला का प्रचार क्या था?
उत्तर : यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला का प्रचार था, “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।”
प्रश्न २: यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला के वस्त्र और भोजन क्या थे?
उत्तर : यूहन्ना ऊँट के रोम का वस्त्र पहिने था और उसकी कमर में चमड़े का कटिबंध था। उसका भोजन टिड्डियाँ और वनमधु था।
प्रश्न ३: कौन लोग यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के लिए आए?
उत्तर : यरूशलेम, सारे यहूदिया, और यरदन के आसपास के सभी लोग यूहन्ना से बपतिस्मा लेने के लिए आए।
प्रश्न ४: यूहन्ना ने फरीसियों और सदूकियों से क्या कहा?
उत्तर : यूहन्ना ने कहा, “हे साँप के बच्चो, तुम्हें किसने जता दिया कि आनेवाले क्रोध से भागो?”
प्रश्न ५: यूहन्ना ने क्या कहा कि परमेश्वर अब्राहम के लिए किससे संतान उत्पन्न कर सकता है?
उत्तर : यूहन्ना ने कहा कि परमेश्वर पत्थरों से भी अब्राहम के लिए संतान उत्पन्न कर सकता है।
प्रश्न ६: यूहन्ना ने लोगों को किससे बपतिस्मा देने की बात कही?
उत्तर : यूहन्ना ने कहा कि वह लोगों को पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा।
प्रश्न ७: यीशु किस उद्देश्य से यूहन्ना के पास बपतिस्मा लेने आया?
उत्तर : यीशु यूहन्ना के पास बपतिस्मा लेने आया ताकि सभी धार्मिकता को पूरा किया जा सके।
प्रश्न ८: यूहन्ना ने यीशु को बपतिस्मा देने से क्यों रोकने की कोशिश की?
उत्तर : यूहन्ना ने कहा कि उसे स्वयं यीशु से बपतिस्मा लेने की आवश्यकता है, इसलिए उसने उसे रोकने की कोशिश की।
प्रश्न ९: जब यीशु ने बपतिस्मा लिया, तो आकाश में क्या हुआ?
उत्तर : जब यीशु ने बपतिस्मा लिया, तो आकाश खुल गया और परमेश्वर का आत्मा कबूतर के समान उतरकर यीशु पर आ गया।
प्रश्न १०: आकाशवाणी में परमेश्वर ने यीशु के बारे में क्या कहा?
उत्तर : आकाशवाणी में कहा गया, “यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
मत्ती ४ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: यीशु को इब्लीस द्वारा परीक्षा के लिए कौन जंगल में ले गया?
उत्तर : आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि उसकी परीक्षा इब्लीस द्वारा हो सके।
प्रश्न २: यीशु ने कितने दिन और रात उपवास किया?
उत्तर : यीशु ने चालीस दिन और चालीस रात उपवास किया।
प्रश्न ३: पहली परीक्षा में इब्लीस ने यीशु से क्या करने के लिए कहा?
उत्तर : इब्लीस ने यीशु से कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो पत्थरों को रोटी में बदल दे।”
प्रश्न ४: यीशु ने इब्लीस को पहली परीक्षा का क्या उत्तर दिया?
उत्तर : यीशु ने उत्तर दिया, “मनुष्य केवल रोटी से नहीं, बल्कि हर वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है, जीवित रहेगा।”
प्रश्न ५: दूसरी परीक्षा में इब्लीस ने यीशु को कहाँ ले जाकर क्या करने के लिए कहा?
उत्तर : इब्लीस ने यीशु को पवित्र नगर के मन्दिर के कंगूरे पर ले जाकर कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को नीचे गिरा दे।”
प्रश्न ६: यीशु ने इब्लीस को दूसरी परीक्षा का क्या उत्तर दिया?
उत्तर : यीशु ने कहा, “तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।”
प्रश्न ७: तीसरी परीक्षा में इब्लीस ने यीशु को क्या दिखाया और क्या माँगा?
उत्तर : इब्लीस ने यीशु को एक ऊँचे पहाड़ से सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाया और माँगा कि यीशु उसे प्रणाम करे।
प्रश्न ८: यीशु ने तीसरी परीक्षा का क्या उत्तर दिया?
उत्तर : यीशु ने कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है : ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’ ”
प्रश्न ९: परीक्षा के बाद यीशु की सेवा कौन करने आया?
उत्तर : परीक्षा के बाद स्वर्गदूत आकर यीशु की सेवा करने लगे।
प्रश्न १०: यीशु ने अपना प्रचार किस संदेश के साथ आरम्भ किया?
उत्तर : यीशु ने प्रचार किया, “मन फिराओ, क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।”
मत्ती ५ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: पहाड़ी उपदेश देने के लिए यीशु कहाँ गए और उनके पास कौन आया?
उत्तर : यीशु पहाड़ पर चढ़ गए, और जब बैठ गए तो उनके चेले उनके पास आए।
प्रश्न २: यीशु ने किन्हें धन्य कहा जो मन के दीन हैं?
उत्तर : यीशु ने उन लोगों को धन्य कहा जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।
प्रश्न ३: उन लोगों को क्या प्रतिफल मिलेगा जो शोक करते हैं?
उत्तर : जो शोक करते हैं वे शांति पाएँगे।
प्रश्न ४: दयावान लोगों के साथ परमेश्वर कैसा व्यवहार करेगा?
उत्तर : जो दयावान हैं, उन पर परमेश्वर दया करेगा।
प्रश्न ५: "तुम पृथ्वी के नमक हो" का क्या तात्पर्य है?
उत्तर : इसका तात्पर्य यह है कि यीशु के अनुयायी संसार में अच्छाई और सत्य के प्रसार के लिए हैं, परंतु यदि वे अपनी पहचान और मूल्य खो देंगे, तो वे किसी काम के नहीं रहेंगे।
प्रश्न ६: परमेश्वर की आज्ञाओं को न मानने वाले और सिखाने वाले को स्वर्ग के राज्य में क्या स्थान मिलेगा?
उत्तर : जो छोटी से छोटी आज्ञाओं को भी तोड़ता है और लोगों को वैसा ही सिखाता है, वह स्वर्ग के राज्य में सबसे छोटा कहलाएगा।
प्रश्न ७: यीशु ने क्रोध और हत्या के बारे में क्या सिखाया?
उत्तर : यीशु ने कहा कि जो अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दंड के योग्य होगा, और जो उसे निकम्मा कहेगा, वह महासभा में दंड के योग्य होगा।
प्रश्न ८: यदि किसी का अपने भाई से विरोध हो तो उसे परमेश्वर की भेंट कैसे चढ़ानी चाहिए?
उत्तर : पहले उसे अपने भाई से मेल मिलाप करना चाहिए, फिर अपनी भेंट परमेश्वर के सामने चढ़ानी चाहिए।
प्रश्न ९: यीशु ने प्रतिशोध लेने के बारे में क्या सिखाया?
उत्तर : यीशु ने सिखाया कि बुराई का सामना न करो, बल्कि यदि कोई दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, तो दूसरा गाल भी फेर दो।
प्रश्न १०: शत्रुओं के साथ प्रेम का व्यवहार क्यों करना चाहिए?
उत्तर : शत्रुओं से प्रेम रखना और उनके लिए प्रार्थना करना चाहिए, ताकि हम स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरें, जो भले और बुरे दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है और वर्षा बरसाता है।
मत्ती ६ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: मत्ती ६:१-४ में यीशु हमें दान देने के बारे में क्या सिखाते हैं?
उत्तर : यीशु सिखाते हैं कि हमें दान करते समय दिखावा नहीं करना चाहिए। हमें अपने दान को गुप्त रूप से देना चाहिए ताकि हमारा स्वर्गीय पिता, जो गुप्त में देखता है, हमें प्रतिफल दे।
प्रश्न २: "दाहिने हाथ का काम बाएँ हाथ से न जानने" का क्या अर्थ है?
उत्तर : इसका अर्थ है कि हमें दान इस प्रकार से करना चाहिए कि न तो स्वयं को गर्व हो और न ही अन्य लोग इसे जानें। दान का उद्देश्य दिखावा नहीं होना चाहिए।
प्रश्न ३: मत्ती ६:५-६ के अनुसार, प्रार्थना करते समय हमें किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए?
उत्तर : प्रार्थना करते समय हमें कपटियों की तरह सार्वजनिक स्थानों पर खड़े होकर दिखावा नहीं करना चाहिए। हमें गुप्त स्थान पर जाकर अपने स्वर्गीय पिता से प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रश्न ४: प्रार्थना करते समय "बक-बक" करने का क्या अर्थ है?
उत्तर : "बक-बक" करने का अर्थ है बिना सोचे-समझे बार-बार शब्दों को दोहराना। यीशु हमें समझाते हैं कि हमें एक सरल और ईमानदार प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रश्न ५: मत्ती ६:९-१३ में यीशु ने प्रार्थना का कौन सा उदाहरण दिया?
उत्तर : यीशु ने "हमारे पिता" प्रार्थना का उदाहरण दिया, जिसमें हम ईश्वर की पवित्रता, राज्य, और हमारी आवश्यकताओं की प्रार्थना करते हैं।
प्रश्न ६: मत्ती ६:१४-१५ में हमें किस बात की चेतावनी दी गई है?
उत्तर : यदि हम दूसरों के अपराधों को क्षमा करते हैं, तो हमारा स्वर्गीय पिता भी हमें क्षमा करेगा। यदि हम क्षमा नहीं करते, तो हमें भी क्षमा नहीं मिलेगी।
प्रश्न ७: उपवास के समय हमें कैसे व्यवहार करना चाहिए? (मत्ती ६:१६-१८)
उत्तर : उपवास के समय हमें कपटियों की तरह उदास नहीं दिखना चाहिए। हमें अपने सिर पर तेल लगाना और अपना चेहरा धोकर सामान्य दिखना चाहिए।
प्रश्न ८: मत्ती ६:१९-२१ में स्वर्गीय धन का क्या महत्व बताया गया है?
उत्तर : हमें पृथ्वी पर धन इकट्ठा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह नाशवान है। बल्कि हमें स्वर्ग में धन इकट्ठा करना चाहिए, क्योंकि वह स्थायी है।
प्रश्न ९: मत्ती ६:२२-२३ में आँख की महत्ता के बारे में क्या कहा गया है?
उत्तर : आँख शरीर का दीपक है; यदि आँख स्पष्ट है, तो सारा शरीर उजियाला होगा। यदि आँख बुरी है, तो सारा शरीर अंधेरा होगा।
प्रश्न १०: मत्ती ६:२४ में यीशु ने किस विषय पर चेतावनी दी है?
उत्तर : यीशु ने बताया कि कोई भी व्यक्ति दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता। हमें परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं करनी चाहिए।
मत्ती ७ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: मत्ती ७:१ में "दोष मत लगाओ" का क्या अर्थ है?
उत्तर : इसका अर्थ है कि हमें दूसरों के दोषों की आलोचना करने से पहले अपने दोषों पर ध्यान देना चाहिए। जिस प्रकार हम दूसरों को दोष देते हैं, उसी प्रकार हमें भी दोष दिया जाएगा।
प्रश्न २: मत्ती ७:२ में "जिस नाप से तुम नापते हो, उसी नाप से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा" का क्या अर्थ है?
उत्तर : यह सिद्धांत हमें यह समझाता है कि हम जिस तरह से दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं, उसी प्रकार का व्यवहार हमारे साथ भी होगा।
प्रश्न ३: मत्ती ७:३-५ में आँख के तिनके और लट्ठे का उदाहरण क्यों दिया गया है?
उत्तर : यह उदाहरण यह दिखाता है कि हमें अपने दोषों को पहचानने और सुधारने में पहले खुद पर ध्यान देना चाहिए, ताकि हम दूसरों की मदद कर सकें।
प्रश्न ४: मत्ती ७:६ में "पवित्र वस्तु कुत्तों को न दो" का क्या अर्थ है?
उत्तर : यह सिखाता है कि हमें अपनी मूल्यवान वस्तुओं या ज्ञान को उन लोगों के सामने नहीं रखना चाहिए जो उन्हें समझने के लिए तैयार नहीं हैं।
प्रश्न ५: मत्ती ७:७ में "माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा" का क्या संदेश है?
उत्तर : यह प्रार्थना में विश्वास का संदेश है। यदि हम ईमानदारी से माँगते हैं, तो हमारा स्वर्गीय पिता हमें अच्छे उपहार देगा।
प्रश्न ६: मत्ती ७:१२ में "जो कुछ तुम चाहते हो कि मनुष्य तुम्हारे साथ करें" का क्या महत्व है?
उत्तर : यह "स्वर्ण नियम" है, जो हमें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करने की प्रेरणा देता है जैसा हम अपने लिए चाहते हैं।
प्रश्न ७: मत्ती ७:१३-१४ में "सकेत फाटक" और "चौड़ा मार्ग" का क्या अर्थ है?
उत्तर : यह हमें जीवन के कठिन रास्ते और आसान रास्ते के बीच चुनाव करने की प्रेरणा देता है। चौड़ा मार्ग विनाश की ओर जाता है, जबकि सकेत फाटक जीवन की ओर।
प्रश्न ८: मत्ती ७:१५ में "झूठे भविष्यद्वक्ताओं" से सावधान रहने का क्या कारण है?
उत्तर : क्योंकि ये लोग भेड़ों के भेस में आते हैं और वास्तव में वे हानि पहुँचाने वाले होते हैं। हमें उनके फलों से उन्हें पहचानना चाहिए।
प्रश्न ९: मत्ती ७:२१ में "जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" का क्या अर्थ है?
उत्तर : इसका मतलब है कि केवल ज़बान से प्रभु की पुकार करना पर्याप्त नहीं है; हमें ईश्वर की इच्छा को मानना और उसके अनुसार जीवन व्यतीत करना चाहिए।
प्रश्न १०: मत्ती ७:२४-२७ में बुद्धिमान और मूर्ख मनुष्य के उदाहरण का क्या संदेश है?
उत्तर : यह सिखाता है कि जो व्यक्ति यीशु की शिक्षाओं को सुनता है और उन पर चलता है, वह मजबूत आधार पर खड़ा होता है, जबकि जो नहीं मानता वह अस्थिर होता है।
मत्ती ८ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: मत्ती ८:२ में कोढ़ी ने यीशु से क्या कहा?
उत्तर : कोढ़ी ने यीशु से कहा, “हे प्रभु, यदि तू चाहे, तो मुझे शुद्ध कर सकता है।” यह उसकी विश्वास और आशा को दर्शाता है।
प्रश्न २: मत्ती ८:३ में यीशु ने कोढ़ी को कैसे चंगा किया?
उत्तर : यीशु ने हाथ बढ़ाकर कोढ़ी को छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू शुद्ध हो जा।” उस समय कोढ़ी तुरंत शुद्ध हो गया।
प्रश्न ३: मत्ती ८:४ में यीशु ने कोढ़ी से क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने उसे कहा कि वह किसी से न कहे, बल्कि जाकर याजक को दिखाए और मूसा के अनुसार चढ़ावा चढ़ाए ताकि लोगों के लिए गवाही हो।
प्रश्न ४: मत्ती ८:५ में सूबेदार ने यीशु से क्या विनती की?
उत्तर : सूबेदार ने यीशु से विनती की कि उसका सेवक लकवा रोग से बहुत दु:खी पड़ा है।
प्रश्न ५: मत्ती ८:८ में सूबेदार ने यीशु के सामने अपनी असमर्थता को कैसे व्यक्त किया?
उत्तर : सूबेदार ने कहा कि वह इस योग्य नहीं है कि यीशु उसकी छत के नीचे आए, लेकिन उसने विश्वास व्यक्त किया कि केवल यीशु के शब्दों से उसका सेवक चंगा हो जाएगा।
प्रश्न ६: मत्ती ८:१० में यीशु ने सूबेदार के विश्वास के बारे में क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने कहा कि उसने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया, और पूर्व और पश्चिम से बहुत से लोग स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे।
प्रश्न ७: मत्ती ८:१४ में यीशु ने पतरस की सास को कैसे चंगा किया?
उत्तर : यीशु ने उसकी हाथ छुआ और उसका ज्वर उतर गया, जिससे वह उठकर उसकी सेवा करने लगी।
प्रश्न ८: मत्ती ८:१६ में यीशु ने किन लोगों को चंगा किया?
उत्तर : संध्या को बहुत से लोगों को यीशु के पास लाया गया, जिनमें दुष्टात्माएँ थीं, और उन्होंने सब बीमारों को चंगा किया।
प्रश्न ९: मत्ती ८:१८ में यीशु ने बड़ी भीड़ को देखकर क्या किया?
उत्तर : यीशु ने बड़ी भीड़ को देखकर झील के उस पार जाने की आज्ञा दी।
प्रश्न १०: मत्ती ८:२६ में यीशु ने चेलों को क्या कहा जब वे तूफान से डर गए थे?
उत्तर : यीशु ने चेलों से कहा, “हे अल्पविश्वासियो, क्यों डरते हो?” इसके बाद उन्होंने तूफान को शांत किया।
मत्ती ९ पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A):
प्रश्न १: मत्ती ९:२ में लकवे के रोगी के लिए यीशु ने क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने लकवे के रोगी से कहा, “हे पुत्र, ढाढ़स बाँध; तेरे पाप क्षमा हुए।”
प्रश्न २: मत्ती ९:३ में शास्त्रियों ने यीशु के बारे में क्या सोचा?
उत्तर : शास्त्रियों ने सोचा कि यीशु परमेश्वर की निन्दा करता है।
प्रश्न ३: मत्ती ९:६ में यीशु ने किस बात की पुष्टि की?
उत्तर : यीशु ने कहा कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है।
प्रश्न ४: मत्ती ९:९ में यीशु ने मत्ती को क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने मत्ती से कहा, “मेरे पीछे हो ले।”
प्रश्न ५: मत्ती ९:१२ में यीशु ने फरीसियों से क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने कहा, “वैद्य भले चंगों के लिए नहीं परन्तु बीमारों के लिए आवश्यक है।”
प्रश्न ६: मत्ती ९:१४ में यूहन्ना के चेलों ने यीशु से किस विषय में पूछा?
उत्तर : यूहन्ना के चेलों ने पूछा कि वे और फरीसी उपवास करते हैं, परन्तु उसके चेले उपवास क्यों नहीं करते?
प्रश्न ७: मत्ती ९:१८ में उस सरदार ने यीशु से क्या कहा?
उत्तर : सरदार ने कहा, “मेरी पुत्री अभी मरी है, परन्तु चलकर अपना हाथ उस पर रख, तो वह जीवित हो जाएगी।”
प्रश्न ८: मत्ती ९:२० में उस स्त्री ने यीशु के वस्त्र को क्यों छुआ?
उत्तर : उसने कहा, “यदि मैं उसके वस्त्र के आँचल को छू लूँगी तो चंगी हो जाऊँगी।”
प्रश्न ९: मत्ती ९:२६ में लड़की के जीवित होने की चर्चा कहाँ फैली?
उत्तर : इस बात की चर्चा उस सारे देश में फैल गई।
प्रश्न १०: मत्ती ९:३७ में यीशु ने अपने चेलों से क्या कहा?
उत्तर : यीशु ने कहा, “पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं। इसलिए खेत के स्वामी से विनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिए मजदूर भेज दे।”
मत्ती १० पर आधारित प्रश्न-उत्तर
प्रश्न-उत्तर (Q & A): मत्ती 10
प्रश्न १: यीशु ने अपने बारह चेलों को किस उद्देश्य से बुलाया?
उत्तर: यीशु ने अपने बारह चेलों को बुलाकर उन्हें अशुद्ध आत्माओं पर अधिकार दिया कि वे उन्हें निकालें और सभी प्रकार की बीमारियों और दुर्बलताओं को दूर करें।
प्रश्न २: बारह प्रेरितों के नाम कौन-कौन से हैं?
उत्तर: बारह प्रेरितों के नाम हैं: शमौन (पतरस), अन्द्रियास, याकूब (जब्दी का पुत्र), यूहन्ना, फिलिप्पुस, बरतुल्मै, थोमा, मत्ती (महसूल लेने वाला), याकूब (हलफई का पुत्र), तद्दै, शमौन (कनानी), और यहूदा इस्करियोती।
प्रश्न ३: यीशु ने अपने चेलों को क्या आज्ञा दी?
उत्तर: यीशु ने कहा कि वे अन्यजातियों की ओर न जाएँ और सामरियों के किसी नगर में प्रवेश न करें, बल्कि इस्राएल के घराने की खोई हुई भेड़ों के पास जाएँ।
प्रश्न ४: चेलों को क्या प्रचार करने को कहा गया?
उत्तर: चेलों को यह प्रचार करने को कहा गया कि ‘स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।’
प्रश्न 5: चेलों को अपने साथ क्या नहीं ले जाने की सलाह दी गई?
उत्तर: उन्हें अपने पटुकों में न सोना, न रूपा, और न ताँबा रखने के लिए कहा गया।
प्रश्न ६: चेलों को घर में प्रवेश करते समय क्या करने की सलाह दी गई?
उत्तर: उन्हें घर में प्रवेश करते समय उस घर को आशीष देने की सलाह दी गई।
प्रश्न ७: अगर कोई व्यक्ति चेलों को ग्रहण न करे तो उन्हें क्या करना चाहिए?
उत्तर: अगर कोई उन्हें ग्रहण न करे, तो उन्हें उस घर या नगर से निकलते समय अपने पाँवों की धूल झाड़ डालनी चाहिए।
प्रश्न ८: यीशु ने अपने चेलों को किस प्रकार की चुनौतियों का सामना करने की चेतावनी दी?
उत्तर: यीशु ने चेतावनी दी कि लोग उन्हें महासभाओं में सौंपेंगे, और अपनी पंचायतों में उन्हें कोड़े मारेंगे।
प्रश्न ९: चेलों को किस बात का ध्यान रखने के लिए कहा गया?
उत्तर: उन्हें यह चिंता न करने के लिए कहा गया कि वे क्या कहेंगे, क्योंकि जो कुछ उन्हें कहना होगा, वह उसी घड़ी उन्हें बता दिया जाएगा।
प्रश्न १०: यीशु ने किस बात को स्पष्ट किया कि वह पृथ्वी पर क्यों आया है?
उत्तर: यीशु ने स्पष्ट किया कि वह पृथ्वी पर मिलाप कराने नहीं, बल्कि तलवार चलवाने आया है।
प्रश्न ११: कौन-सी बात से डरने के लिए कहा गया?
उत्तर: यीशु ने कहा कि उन्हें केवल उसी से डरना चाहिए, जो आत्मा और शरीर दोनों को नरक में नष्ट कर सकता है।
प्रश्न १२: जो कोई मनुष्यों के सामने यीशु को मान लेगा, उसके लिए क्या कहा गया?
उत्तर: जो कोई मनुष्यों के सामने यीशु को मान लेगा, उसे यीशु भी अपने स्वर्गीय पिता के सामने मान लेगा।
प्रश्न १३: यीशु ने किस बात का संकेत दिया कि वे पृथ्वी पर कैसे विभाजन लाएंगे?
उत्तर: यीशु ने कहा कि वह मनुष्य को उसके पिता से, बेटी को उसकी माँ से, और बहू को उसकी सास से अलग कर देगा।
प्रश्न १४: जो कोई छोटे लोगों में से एक को चेला जानकर केवल एक कटोरा ठंडा पानी पिलाएगा, उसके लिए क्या कहा गया?
उत्तर: यीशु ने कहा कि वह किसी रीति से अपना प्रतिफल न खोएगा।
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