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बाइबल अध्ययन : हिन्दी भाषा पवित्र बाइबल | नया नियम का अध्ययन | Bible Study: Holy Bible in Hindi | Study of the New Testament

बाइबल अध्ययन : हिन्दी भाषा पवित्र बाइबल | नया नियम का अध्ययन | Bible Study: Holy Bible in Hindi | Study of the New Testament

नया नियम का अध्ययन | Study of the New Testament

यह पृष्ठ बाइबल के नए नियम (न्यू टेस्टामेंट) के विभिन्न अध्यायों के अध्ययन के लिए समर्पित है। यहाँ, आप नए नियम की विभिन्न किताबों के लिंक पा सकते हैं, जिनमें से प्रत्येक आपके आध्यात्मिक विकास और ज्ञान को बढ़ाने में सहायक है।

नया नियम की महत्वपूर्ण विशेषताएँ :

यीशु मसीह का जीवन:

नया नियम मुख्य रूप से यीशु मसीह के जीवन, शिक्षाओं और चमत्कारों पर केंद्रित है।

प्रेरितों का कार्य:

इसमें प्रेरितों के कार्य और शुरुआती चर्च का विकास भी दर्शाया गया है।

समुदाय और विश्वास:

यह विश्वासियों के लिए सामुदायिक जीवन, नैतिकता, और उनके विश्वास में स्थिरता के बारे में निर्देश प्रदान करता है।

आध्यात्मिक विकास:

नए नियम के पाठों का उद्देश्य हर विश्वासी के आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध करना है।

प्रमुख किताबें :

१) मत्ती:

यीशु के जन्म, जीवन और शिक्षाओं की कहानी। यह पुस्तक मसीह के राजा होने का दावा करती है और उसके वंश, शिक्षाओं और चमत्कारों का विवरण देती है।

२) मरकुस:

यीशु के कार्यों और चमत्कारों का संक्षिप्त वर्णन। यह पुस्तक तेज गति से यीशु की सेवकाई को प्रस्तुत करती है, जिसमें उसके चमत्कारों पर विशेष ध्यान दिया गया है।

३) लूका:

यीशु के जीवन की विस्तृत और रोचक कथा। लूका की किताब दया और करुणा का संदेश देती है और इसमें विभिन्न दृष्टांत शामिल हैं।

४) यूहन्ना:

यीशु की दिव्यता और प्रेम का संदेश। यह पुस्तक यीशु के ईश्वरत्व को स्पष्ट करती है और विश्वासियों को उसकी प्रेम की गहराई समझाती है।

५) प्रेरितों के काम:

शुरुआती चर्च और प्रेरितों के कार्यों की कहानी। यह पुस्तक पॉलुस और अन्य प्रेरितों की सेवकाई का विस्तृत वर्णन करती है।

६) रोमियों:

विश्वास, अनुग्रह और उद्धार के बारे में शिक्षाएँ। यह पत्र पौलुस द्वारा लिखा गया है और इसमें उद्धार की परिभाषा और विश्वास का महत्व बताया गया है।

७) १ कुरिन्थियों:

चर्च में समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा। पौलुस ने इस पत्र में चर्च की समस्याओं और उनके समाधान के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है।

८) २ कुरिन्थियों:

पौलुस के व्यक्तिगत अनुभव और संदेश। इसमें पौलुस अपने अपमान, कठिनाइयों और सच्चे विश्वास की महत्ता को बताता है।

९) गलातियों:

कानून और विश्वास के बीच संतुलन पर विचार। पौलुस ने इस पत्र में दिखाया है कि विश्वास ही उद्धार का माध्यम है।

१०) इफिसियों:

चर्च के एकता और विश्वास का महत्व। यह पुस्तक सामुदायिक जीवन और आस्था की मजबूती पर बल देती है।

११) फिलिप्पियों:

खुशी और संतोष का संदेश। पौलुस ने इस पत्र में धन्यवाद और प्रोत्साहन के लिए लिखा है।

१२) तीतुस:

अच्छे कार्यों और चर्च के नेतृत्व के लिए मार्गदर्शन। इसमें विश्वासियों के लिए सही आचरण का वर्णन है।

१३) फिलेमोन:

दया और क्षमा की महत्वपूर्ण बातें। यह पत्र व्यक्तिगत संबंधों और दया के महत्व को दर्शाता है।

१४) इब्रानियों:

यीशु की सर्वोच्चता और विश्वास का संदेश। यह पुस्तक पुराने नियम की तुलना में नए नियम की विशेषताओं को दर्शाती है।

१५) याकूब:

विश्वास और कामों के बीच संबंध पर चर्चा। इसमें जीवन के नैतिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

१६) १ पतरस:

कठिनाइयों में स्थिरता और विश्वास का संदेश। पतरस ने विश्वासियों को दुखों के समय में मजबूत रहने की सलाह दी है।

१७) २ पतरस:

भविष्यवाणियों और झूठे शिक्षकों के खिलाफ चेतावनी। इसमें सत्यता की रक्षा करने का महत्व बताया गया है।

१८) १ यूहन्ना:

प्रेम और विश्वास की महत्वपूर्ण बातें। इसमें विश्वासियों को आपसी प्रेम और सच्चाई के प्रति जागरूक किया गया है।

१९) २ यूहन्ना:

सच्चे विश्वासियों के लिए मार्गदर्शन। यह पत्र विश्वासियों को सच्चाई पर चलने की प्रेरणा देता है।

२०) ३ यूहन्ना:

अच्छे कार्यों की सराहना। यह पत्र एक व्यक्ति की अच्छी सेवकाई की सराहना करता है।

२१) यहूदा:

सत्य और झूठे शिक्षकों के खिलाफ चेतावनी। इसमें विश्वासियों को अपने विश्वास की रक्षा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

२२) प्रकाशित वाक्य:

भविष्य की घटनाएँ और परमेश्वर के न्याय का चित्रण। यह पुस्तक अंत समय की घटनाओं का वर्णन करती है और परमेश्वर के अंतिम न्याय की घोषणा करती है।

आप इन अध्यायों पर क्लिक करके उनका अध्ययन कर सकते हैं और परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में लागू करने की कोशिश कर सकते हैं। हर किताब आपके आध्यात्मिक ज्ञान को बढ़ाने और परमेश्वर के साथ आपके संबंध को मजबूत करने में सहायक होगी।

अध्याय अध्ययन करने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

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