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नया नियम के अध्याय सूची: प्रश्न और उत्तर | New Testament Chapter List: Questions and Answers

नया नियम के अध्याय सूची: प्रश्न और उत्तर | New Testament Chapter List: Questions and Answers

नया नियम के अध्याय सूची: प्रश्न और उत्तर | New Testament Chapter List: Questions and Answers

यह पृष्ठ 'नए नियम के अध्यायों पर आधारित प्रश्न और उत्तर' का एक समृद्ध संग्रह है, जो बाइबिल के नए नियम की प्रमुख घटनाओं, शिक्षाओं, और यीशु मसीह के जीवन और कार्यों पर ध्यान केंद्रित करता है। इसमें मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना के सुसमाचारों में वर्णित यीशु मसीह का जन्म, सेवकाई, मृत्यु और पुनरुत्थान जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। इसके अलावा, प्रेरितों के काम में प्रारंभिक कलीसिया की स्थापना और पौलुस की पत्रियों में मसीही जीवन के नियमों और विश्वास के सिद्धांतों की गहराई से चर्चा की गई है।

नए नियम के प्रत्येक अध्याय से जुड़े प्रश्न और उत्तर पाठकों को इन कहानियों की गहराई को समझने में सहायता करते हैं, और उन्हें जीवन में लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, मत्ती के सुसमाचार में पर्वत उपदेश का महत्व, प्रेरितों के काम में पवित्र आत्मा का अवतरण, और प्रकाशितवाक्य में अंत समय की घटनाओं का उल्लेख किया गया है, जो पाठकों को गहन रूप से सोचने और अपने विश्वास को मजबूत करने में मदद करता है। यह पृष्ठ छात्रों, शिक्षकों, और धार्मिक अध्ययन करने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो मसीही धर्म के मूल सिद्धांतों को समझना और उन पर प्रश्न-उत्तर के माध्यम से गहन अध्ययन करना चाहते हैं।

१. मत्ती (Matthew)

यह सुसमाचार यीशु मसीह के जीवन और उनके जन्म की कहानी से शुरू होता है। इसमें यीशु के शैशव काल, उनके बपतिस्मा, और उनके पहले चमत्कारों का उल्लेख है। यह सुसमाचार यहूदी परंपराओं और भविष्यवाणियों को पूरी करता है।

२. मरकुस (Mark)

यह सुसमाचार यीशु की सेवकाई को तीव्रता से वर्णित करता है। इसमें चमत्कार, चूक, और लोगों के साथ यीशु के संबंधों का उल्लेख है। यह सुसमाचार सबसे पहले लिखा गया माना जाता है।

३. लूका (Luke)

लूका का सुसमाचार सबसे विस्तृत है और इसमें यीशु के जीवन की कई कहानियाँ शामिल हैं। इसमें दया, क्षमा, और गरीबों के प्रति ध्यान केंद्रित किया गया है।

४. यूहन्ना (John)

यह सुसमाचार यीशु की दिव्यता पर जोर देता है। इसमें मसीह के "मैं हूँ" के कथन शामिल हैं, जो उनकी ईश्वरता को दर्शाते हैं।

५. प्रेरितों के काम (Acts)

यह पुस्तक प्रारंभिक कलीसिया के विकास और प्रेरितों की गतिविधियों का विवरण देती है। इसमें पवित्र आत्मा का अवतरण और पौलुस के मिशन का उल्लेख है।

६. रोमियों (Romans)

यह पत्री पौलुस द्वारा रोम की कलीसिया के लिए लिखी गई है। इसमें विश्वास, अनुग्रह, और उद्धार के सिद्धांतों पर चर्चा की गई है।

७. १ कुरिन्थियों (1 Corinthians)

यह पत्री कुरिन्थ की कलीसिया को संबोधित है। इसमें कलीसियाई समस्याएँ और विवादों का समाधान किया गया है।

८. २ कुरिन्थियों (2 Corinthians)

इस पत्री में पौलुस ने अपनी सेवकाई के संघर्षों और सच्चाई की महत्वपूर्णता पर जोर दिया है।

९. गलातियों (Galatians)

यह पत्री पौलुस ने उन विश्वासियों को लिखी है जो विधियों के प्रति लौट रहे थे। इसमें स्वतंत्रता और विश्वास का महत्व बताया गया है।

१०. इफिसियों (Ephesians)

यह पत्री कलीसिया के एकता और मसीही जीवन के सिद्धांतों पर चर्चा करती है। इसमें मसीही जीवन के लिए मार्गदर्शन दिया गया है।

११. फिलिप्पियों (Philippians)

यह पत्री पौलुस ने कलीसिया के प्रति अपनी प्रेम और समर्थन को दर्शाने के लिए लिखी है। इसमें खुशी और संतोष का संदेश है।

१२. कुलुस्सियों (Colossians)

यह पत्री यीशु की दिव्यता और उनके प्रति विश्वास की महत्वपूर्णता को उजागर करती है।

१३. १ थिस्सलुनीकियों (1 Thessalonians)

यह पत्री थिस्सलुनीका की कलीसिया को प्रोत्साहित करती है और मसीह की वापसी पर चर्चा करती है।

१४. २ थिस्सलुनीकियों (2 Thessalonians)

इस पत्री में पौलुस ने मसीह की वापसी के समय और प्रमाणों पर जोर दिया है।

१५. १ तीमुथियुस (1 Timothy)

यह पत्री पौलुस ने तीमुथियुस को कलीसिया के नेतृत्व के लिए सलाह देने के लिए लिखी है। इसमें कलीसिया के संगठनों और सिद्धांतों के बारे में चर्चा की गई है। पौलुस ने तीतुस को यह सलाह दी है कि वह एक मजबूत और नैतिक नेतृत्व का उदाहरण बने।

१६. २ तीमुथियुस (2 Timothy)

यह पत्री पौलुस की अंतिम पत्री मानी जाती है। इसमें उसने अपने विश्वास के लिए संघर्ष करने और सच्चाई को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया है।

१७. तीतुस (Titus)

यह पत्री तीतुस को क्रीट में कलीसिया का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था। इस पत्री में कलीसिया के संगठनों और सिद्धांतों के बारे में चर्चा की गई है। पौलुस ने तीतुस को यह सलाह दी है कि वह एक मजबूत और नैतिक नेतृत्व का उदाहरण बने।

१८. फिलेमोन (Philemon)

यह पत्री विशेष रूप से एक व्यक्तिगत विषय पर आधारित है, जिसमें पौलुस ने फिलेमोन से अनुरोध किया है कि वह उनके दास ओनेसिमस को माफ करें। यह पत्री दया, क्षमा, और मसीही संबंधों की महत्वपूर्णता को दर्शाती है।

१९. इब्रानियों (Hebrews)

इब्रानियों की पत्री यहूदियों को मसीह के सिद्धांतों और उनकी भूमिका के महत्व पर समझाती है। इसमें यह बताया गया है कि मसीह पुराने नियम के सभी संकल्पों का पूर्णता है। इस पत्री में बलिदान, आस्था, और धैर्य के महत्व पर जोर दिया गया है।

२०. याकूब (James)

याकूब की पत्री में प्रैक्टिकल क्रिस्चियनिटी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह पत्री नैतिकता, विश्वास, और कार्यों के बारे में चर्चा करती है। याकूब ने विश्वासियों को अपने कार्यों से अपने विश्वास को प्रमाणित करने के लिए प्रेरित किया है।

२१. १ पतरस (1 Peter)

यह पत्री कष्ट और परीक्षणों का सामना कर रहे विश्वासियों के लिए प्रोत्साहन है। पतरस ने उन्हें यह बताया कि कैसे वे अपने विश्वास को बनाए रखें और अपने प्रति दयालु रहें। इसमें मसीह के बलिदान का महत्व भी बताया गया है।

२२. २ पतरस (2 Peter)

यह पत्री फर्जी शिक्षाओं और उनके परिणामों के खिलाफ चेतावनी देती है। पतरस ने विश्वासियों को यह बताया है कि कैसे वे सत्य और सही शिक्षाओं के प्रति सतर्क रह सकते हैं। इसमें अंत समय के संकेतों और विश्वास की स्थिरता पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

२३. १ यूहन्ना (1 John)

यह पत्री मसीही प्रेम, विश्वास, और सत्य की महत्वपूर्णता को उजागर करती है। यूहन्ना ने विश्वासियों को यह बताया है कि कैसे वे अपने जीवन में प्रेम का प्रदर्शन कर सकते हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि मसीह के प्रति विश्वास रखने वाले लोग एकजुट हैं।

२४. २ यूहन्ना (2 John)

यह पत्री एक व्यक्तिगत संदेश है जो एक चुनी हुई महिला को लिखा गया है। इसमें प्रेम और सत्य के महत्व पर जोर दिया गया है, और अन्य शिक्षाओं के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

२५. ३ यूहन्ना (3 John)

यह पत्री गाईयस को लिखी गई है, जिसमें विश्वासियों के बीच संबंधों और सेवा के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया गया है। पौलुस ने गाईयस की सेवा और दयालुता की सराहना की है।

२६. यहूदा (Jude)

यह पत्री फर्जी शिक्षाओं के खिलाफ चेतावनी देती है और विश्वासियों को सच्चाई के लिए लड़ने की प्रेरणा देती है। यहूदा ने विश्वासियों को यह बताया है कि कैसे वे अपने विश्वास को बनाए रखें और अपनी पहचान के प्रति सचेत रहें।

२७. प्रकाशितवाक्य (Revelation)

यह पुस्तक भविष्य की घटनाओं और मसीह की वापसी के बारे में है। इसमें प्रतीकात्मक भाषा का प्रयोग किया गया है, जो अंत समय की घटनाओं का वर्णन करता है। प्रकाशितवाक्य में मसीह के विजय और कलीसिया के अंतिम उद्धार का आश्वासन है।

इस पृष्ठ में दिए गए प्रश्न और उत्तरों के माध्यम से पाठक नए नियम की गहराई को समझ सकते हैं और अपने जीवन में मसीही शिक्षाओं को लागू करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। यह सामग्री छात्रों, शिक्षकों, और धार्मिक अध्ययन करने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो बाइबिल के नए नियम को बेहतर ढंग से समझना और अध्ययन करना चाहते हैं।

अध्याय के प्रश्न और उत्तर देखने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

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