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उत्पत्ति १ : सृष्टि के सात दिनों की फोटो गैलरी | उत्पत्ति फोटो गैलरी

उत्पत्ति १ : सृष्टि के सात दिनों की फोटो गैलरी | उत्पत्ति फोटो गैलरी

उत्पत्ति १ : सृष्टि के प्रारंभ का विवरण | उत्पत्ति फोटो गैलरी

सृष्टि के पहले दिन से सातवें दिन तक की घटनाएँ:

उत्पत्ति १ के पहले अध्याय में परमेश्वर द्वारा आकाश और पृथ्वी की सृष्टि का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस अध्याय में हमें यह पता चलता है कि कैसे परमेश्वर ने अंधकार और अव्यक्तता के बीच से सृष्टि की शुरुआत की। यह सृष्टि की शुरुआत की पूरी कहानी को इस प्रकार समझा जा सकता है:

पहले दिन, परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनाया और दिन और रात के बीच अंतर स्थापित किया। यह अंतर दिन के उजाले और रात के अंधकार के बीच था, जिससे समय का चक्र शुरू हुआ।

दूसरे दिन, परमेश्वर ने जल के बीच एक अंतर बनाया, जिससे आकाश और पृथ्वी के बीच स्थान निर्मित हुआ। यह अंतर आकाश को पृथ्वी से अलग करता है और आकाश को अनंत फैलाव प्रदान करता है।

तीसरे दिन, पृथ्वी से भूमि का उभरना और समुद्रों का एकत्रित होना हुआ, और इस भूमि पर हरियाली, पौधे और वृक्ष उगाए गए। यह दिन जीवन के लिए पृथ्वी पर उपयुक्त स्थितियाँ तैयार करने का दिन था।

चौथे दिन, परमेश्वर ने सूर्य, चंद्रमा और तारे बनाए ताकि वे दिन और रात के चक्र को नियंत्रित करें और समय की माप के लिए उपयोग किए जाएं। ये आकाशीय देहें दिन और रात की शुरुआत और अंत को निर्धारित करती हैं।

पाँचवे दिन, परमेश्वर ने जल में रहने वाले जीवों और आकाश में उड़ने वाले पक्षियों की सृष्टि की, और उन्होंने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वे बढ़ें और पृथ्वी पर फैलें। जल और आकाश के जीवों का जीवन का सृजन हुआ।

छठे दिन, परमेश्वर ने पृथ्वी के जीव-जंतुओं और मनुष्यों की रचना की, और मनुष्य को अपनी समानता में बनाया, जिससे उसे पृथ्वी पर सभी जीवों पर अधिकार प्राप्त हुआ। इस दिन, मनुष्य को जीवन का उपहार दिया गया और उसके माध्यम से संसार की देखभाल का आदेश दिया गया।

यह चित्र संग्रह उत्पत्ति के पहले अध्याय की इन घटनाओं को दर्शाता है, जहाँ परमेश्वर की रचनात्मक शक्ति और दिव्यता को स्पष्ट रूप से दिखाया गया है। ये चित्र उस भव्य दृश्य को जीवंत रूप से प्रस्तुत करते हैं, जहां परमेश्वर ने अपनी वाणी से सृष्टि की प्रत्येक वस्तु को अस्तित्व प्रदान किया।

प्रत्येक चित्र को विशेष रूप से चुना गया है ताकि दर्शक उत्पत्ति के घटनाओं को समझ सके और उन दिव्य क्षणों का अनुभव कर सके, जब परमेश्वर ने सृष्टि के आरंभ में जीवन और प्रकाश की शुरुआत की।

उत्पत्ति १ : परमेश्वर द्वारा सृष्टि का वर्णन

१. आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्‍टि की।

२. पृथ्वी बेडौल और सुनसान पड़ी थी, और गहरे जल के ऊपर अन्धियारा था; तथा परमेश्‍वर का आत्मा जल के ऊपर मण्डराता था।

३. जब परमेश्‍वर ने कहा, “उजियाला हो,” तो उजियाला हो गया।

४. और परमेश्‍वर ने उजियाले को देखा कि अच्छा है; और परमेश्‍वर ने उजियाले को अन्धियारे से अलग किया।

५. और परमेश्‍वर ने उजियाले को दिन और अन्धियारे को रात कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार पहला दिन हो गया।

६. फिर परमेश्‍वर ने कहा, “जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।”

७. तब परमेश्‍वर ने एक अन्तर बनाकर उसके नीचे के जल और उसके ऊपर के जल को अलग अलग किया; और वैसा ही हो गया।

८. और परमेश्‍वर ने उस अन्तर को आकाश कहा। तथा साँझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार दूसरा दिन हो गया।

९. फिर परमेश्‍वर ने कहा, “आकाश के नीचे का जल एक स्थान में इकट्ठा हो जाए और सूखी भूमि दिखाई दे,” और वैसा ही हो गया।

१०. परमेश्‍वर ने सूखी भूमि को पृथ्वी कहा, तथा जो जल इकट्ठा हुआ उसको उसने समुद्र कहा : और परमेश्‍वर ने देखा कि अच्छा है।

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